प्रधानमंत्री का संबोधन- संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष
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प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अवसर केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए भी गर्व का पल है। संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर यह एक ऐतिहासिक और यादगार यात्रा है, जो हमें हमारे संविधान निर्माताओं के योगदान और उनके दृष्टिकोण का सम्मान करने की प्रेरणा देती है।
दिल्ली/ 14 दिसंबर 2024 को संविधान अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष संबोधन दिया। इस संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारतीय संविधान के महत्व और उसकी रक्षा में किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने संविधान के निर्माताओं की दिव्य दृष्टि और उनके योगदान को याद करते हुए देशवासियों को एकजुट होकर संविधान के सिद्धांतों का पालन करने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अवसर केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए भी गर्व का पल है। संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर यह एक ऐतिहासिक और यादगार यात्रा है, जो हमें हमारे संविधान निर्माताओं के योगदान और उनके दृष्टिकोण का सम्मान करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने संविधान के निर्माण में महिला शक्ति के योगदान को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं, जिन्होंने संविधान निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई और संविधान को समृद्ध किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में महिलाओं को वोट देने का अधिकार पहले ही संविधान में सुनिश्चित किया गया था, जबकि कई अन्य देशों को इसके लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने जी-20 समिट के दौरान 'वीमेन लेड डेवलपमेंट' की अवधारणा को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, जो भारत के संविधान की भावना के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि भारत में महिला शक्ति की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, चाहे वह राजनीति, शिक्षा, खेल, विज्ञान या किसी अन्य क्षेत्र में हो। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं के योगदान की सराहना की, विशेषकर स्पेस टेक्नोलॉजी और विज्ञान के क्षेत्र में।
प्रधानमंत्री ने संविधान की सबसे बड़ी ताकत भारत की विविधता में एकता को बताया। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता ही हमारी पहचान है और यही हमारी ताकत है। उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर के उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि देश में विविधता के बावजूद एकता का संदेश संविधान में दिया गया है, और यही संदेश हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत अब तेजी से विकास की दिशा में बढ़ रहा है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि देश की एकता को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जैसे कि आर्टिकल 370 को समाप्त करना, जीएसटी लागू करना, वन नेशन, वन राशन कार्ड और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं। इन योजनाओं ने देश में एकता को और अधिक सशक्त किया है और लोगों को समान अधिकार दिए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अब भारत में हर नागरिक को इलाज, बिजली, सड़क, और इंटरनेट जैसी सुविधाएं समान रूप से मिल रही हैं, चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में रहे। यह सभी कदम संविधान की भावना को जीवित रखने के प्रयास हैं। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि डिजिटल इंडिया की सफलता और भारत के विकास में संविधान की प्रेरणा से ही एकता की भावना को बल मिला है।
प्रधानमंत्री ने अपनी बात समाप्त करते हुए सभी देशवासियों से संविधान की रक्षा करने और उसकी मूल भावना का पालन करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि हर भारतीय का यह सपना है कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जाए, और इसके लिए संविधान की एकता और समानता की भावना का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।